Madhu varma

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लेखनी कविता -अच्छे मीठे फल चाख चाख -मीरां

अच्छे मीठे फल चाख चाख -मीरां 


अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी।
 ऐसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती।
 नीचे कुल ओछी जात, अति ही कुचीलणी।
 जूठे फल लीन्हे राम, प्रेम की प्रतीत त्राण।
 उँच नीच जाने नहीं, रस की रसीलणी।
 ऐसी कहा वेद पढी, छिन में विमाण चढी।
 हरि जू सू बाँध्यो हेत, बैकुण्ठ में झूलणी।
 दास मीरा तरै सोई, ऎसी प्रीति करै जोइ।
 पतित पावन प्रभु, गोकुल अहीरणी।

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